Friday, May 15, 2009

खुला खेल फर्रुखाबादी

खत्म हुआ चुनावी खेल और चल पड़ी जोड़-तोड़ की नई रेल । पहले आओ पहले पाओ का नारा दिया जा रहा है। कोई भोज के बहाने तो कोई गुप्त ठिकाने पर नेता प्रमुखों के साथ कोई खिचड़ी तो कोई मीठी खीर पका रहा है । भाई चुनाव था उल्टा सीधा बोलना पड़ा वैसे तो हम सब एक ही थाली के हैं । यह सुक्ति सुत्र बड़े कददावर नेताओं के हैं । एक सांसद की कीमत भी तय हो चुकी हैै बस अगर थोक के भाव लेना है तो कुछ कम में मामला बन सकता है।

7 comments:

  1. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....

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  2. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  3. बहुत सुंदर.हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लोग पर भी आने की जहमत करें।

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  4. आपकी बात में दम है...........स्वागत है आपका

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  5. मान्यवर, हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. आशा है कि हिंदी में ब्लॉगिंग का आपका अनुभव रचनात्मकता से भरपूर हो.

    कृपया मेरा प्रेरक कथाओं और संस्मरणों का ब्लौग देखें - http://hindizen.com

    आपका, निशांत मिश्र

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  6. हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
    इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
    www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर

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