Saturday, January 8, 2011
मौन हैं मनमोहन
सन्न है संसद
मौन हैं मनमोहन
विपक्ष कर रहा
मगरमच्छ सा रूदन
बेहाल जनता
बिलखती सिसकती है
जैसे नागिन अपने ही
बच्चे को डसती है
जनता के स्वर फूटते हैं
चाय के दुकानों पर
नुक्कड़ के मचानों पर
सरकार को गाली हैं देते
विपक्ष को हैं कोसते
लेकिन
मंहगाई पर जनता है लट्टू
जैसे कठियावाड़ी घोड़े का टट्टू
जो खड़े खड़े टाप से मिट्टी है खोदता
जहां है खड़ा उसी को जोतता
महंगाई पर है सरकार का जवाब
इसमें है पड़ोसी मुल्क का हाथ
हम कर ही क्या सकते हैं
हम हैं विवश
पर ओबामा ने किया है आश्वास्त
पड़ोसी को जल्द ही करेंगे ध्वस्त
तब महंगाई काबू में आएगी
इस बार बख्सी नहीं जाएगी
चलेगा महंगाई पर मुकदमा
उसको भी पड़ेगा जेल में रहना
महंगाई को काबू में आने दिजिए
भगवान के लिए तब तक
अपने मुंह को बंद रखिए
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