एक दिन अपनी प्रेमिका से
मैने की शादी की बात
कुछ देर चुप रहने के बाद
उसने दिया मुझे जवाब
करना होगा कांट्रेक्ट साइन
पी के घर ना आवोगे वाइन
शादी की है मेरी दूसरी शर्त
तनख्वाह के दिन
मेरे हाथ होगा तुम्हारा पर्स
जाउंगी पार्टी में कभी मत रोकना
ऐसा गर कर सकते तो
शादी के लिए बोलना
थोड़ी देर तक सर को खुजलाता रहा
इधर-उधर की बातें बनाता रहा
लेकिन मैडम थी टू दि प्वाइंट
बोली क्या सोच रहे हो
ख्यालों में अब कोई
दूसरी खोज रहे हो
मैने कहा जी नहीं
आप सा हसीन दुनिया में कोई नहीं
आप तो परी और हैं अप्सरा
दुनिया में आप सा ना दूसरा
मुर्ख हूं जो अप्सरा को ठुकराउंगा
आपके लिए तो तिहाड़ भी चला जाउंगा
तिहाड़ का नाम सुन थोड़ी खिलखिलाई
यार तुमने तो खूब याद दिलाई
हम दोनों खूब तरक्की करेंगे
अपनी झोली पैसों से भरेंगे
गर तुम मेरे लिए जा सकते हो तिहाड़
वादा है तुमसे बना दूंगी पैसों का पहाड़
पाकर तुमको मैं अपने को धन्य समझूंगी
कभी कभार आकर तिहाड़ में तुमसे मिलूंगी
बहुत अच्छी है मैं सोच रही हूं तुम जैसे कवि पहले कहां थे
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